पल्लव
Wednesday, July 18, 2012
{ ३०१ } {July 2012}
मालियों की हवस से डर जायें
आँधियों में बिखर-बिखर जायें
पूछता हूँ इस चमन के माली से
फूल जिन्दा रहें या कि मर जायें||
-- गोपाल कृष्ण शुक्ल
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