Saturday, July 28, 2012

{ ३०४ } {July 2012}





बस प्यास ही प्यास है जमाने में
हाय एक बदली कहाँ-कहाँ बरसे
घट को क्या पता कौन छलकाये
और कौन सिर्फ दो घूँट को तरसे||

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल

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