पल्लव
Friday, August 17, 2012
{ ३०५ } {Aug 2012}
चौदहवीं के चाँद की चाँदनी जब आती
आकर दिल के सुखद दर्द को सहलाती
सावन कि रातों में मेघों की रिमझिम
अंदर-बाहर, तपन-जलन भर जाति||
-- गोपाल कृष्ण शुक्ल
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