पल्लव
Wednesday, October 17, 2012
{ ३८३ } {Oct 2012}
राहे-हयात की तारीकियाँ मिटाने को
हम इश्क के गीत गुनगुनाते जायेंगें
मोहब्बत में करेंगे जान तक कुर्बान
वफ़ा-ए-गुल से इश्के-चमन सजायेंगें।।
-- गोपाल कृष्ण शुक्ल
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