पल्लव
Sunday, September 30, 2012
{ ३८२ } {Sept 2012}
राह जीवन की कठिन खारजारों से भरी है
दुख-दर्द की डालियाँ भी अभी तक हरी हैं
बन के लौ दिये की तमस से मैं लड रहा हूँ
अँधड-आँधियाँ-अँधेरों की लगी सरसरी है।।
-- गोपाल कृष्ण शुक्ल
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