पल्लव
Wednesday, October 17, 2012
{ ३८५ } {Oct 2012}
औरों की बात छोडिये यहाँ अपने ही अपने नही हुए
क्या नाम दूँ उन्हे जो सबके हुए, पर अपने नही हुए
शायद मेरे बुरे वक्त का ही सुबूत है जो दे रहे हैं वो
हैरत यही कसौटी पर परखते रहे पर अपने नही हुए।।
-- गोपाल कृष्ण शुक्ल
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