पल्लव
Sunday, December 29, 2013
{ ७१२ } {Dec 2013}
झुटपुटा सँध्या का मन हुआ सहज मगन
संकेतों में बात चली मिला मन आलिंगन
मँद मधु बयार चली बाहों में गुँथ गईं बाहें
तन पर छलकी स्वेद बूँदें साँसें हुईं चँदन।।
-- गोपाल कृष्ण शुक्ल
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