Friday, July 3, 2015

{ ९१९ } {April 2015}





सूनसान हैं फ़िज़ायें मौसम उदास है
दूर है मेरी गज़ल इन्तज़ार पास है
कोई जा कर कह दे मेरी नाजनीं को
टूटी नहीं अभी मिलन की आस है।।

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल

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