पल्लव
Thursday, May 23, 2013
{ ५७८ } {May 2013}
वस्ल की सुबह आई, गम की शामें गुजरी, हिज्र की रातें बीत गईं
हुस्न के शहर मे इश्क का एहसास हुआ तन्हाई की बातें रीत गईं।
-- गोपाल कृष्ण शुक्ल
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment