पल्लव
Monday, September 30, 2013
{ ६९१ } {Sept 2013}
हमने जब-जब करने को प्यार बढ़ाई बाहें
तब-तब जालिम दुनिया ने रोकी मेरी राहें
कितने ही अपमान सहे वरदान समझकर
पर दुनिया हर पग पर खड़ी तरेर निगाहें।।
-- गोपाल कृष्ण शुक्ल
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