Sunday, September 29, 2013

{ ६९० } {Sept 2013}





मोहिनी ने आशनाई के जाल में ऐसा उलझा दिया
कि कभी आस की धूप तो कभी मायूसी की धुँध है।

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल

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