Saturday, November 1, 2014

{ ८२६ } {Oct 2014}






जुदाई में मिलन की तिश्नगी महसूस होती है
हर पल हर क्षण तेरी ही कमी महसूस होती है
आज गर तूझे छूना भी चाहूँ तो छू नहीं सकता
पत्थर की दीवार बीच में खड़ी महसूस होती है।।

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल

No comments:

Post a Comment