Friday, October 14, 2022

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पत्थर समझ कर पाँव की ठोकर पर रखने वालों 
अफ़सोस तुम्हारी आँखों ने कभी परखा नहीं मुझे। 

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल 

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