पल्लव
Friday, October 14, 2022
{९६७}
पत्थर समझ कर पाँव की ठोकर पर रखने वालों
अफ़सोस तुम्हारी आँखों ने कभी परखा नहीं मुझे।
-- गोपाल कृष्ण शुक्ल
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