पल्लव
Thursday, October 6, 2022
{९५८ }
मेरा हमसफ़र भी बाकायदा रहा
वो मेरे गमों से भी बना जुदा रहा
इस दोस्ती को भी क्या दोस्ती कहें
वो साथ रहकर भी अलहदा रहा।।
-- गोपाल कृष्ण शुक्ल
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