Thursday, October 6, 2022

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मेरा हमसफ़र भी बाकायदा रहा 
वो मेरे गमों से भी बना जुदा रहा 
इस दोस्ती को भी क्या दोस्ती कहें 
वो साथ रहकर भी अलहदा रहा।। 

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल 

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