लगा इश्क का खंजर सीधे दिल में जा कर।
-- गोपाल कृष्ण शुक्ल
ये मैखाना ही वो जगह है यारों
जहाँ सूकूँ के हजार पल मयस्सर हैं।
-- गोपाल कृष्ण शुक्ल
तलाशे-जीस्त कहाँ ले के आ गई रब ही जाने
ख्वाहिश थी कि फकत ज़िंदगी को जी जाएं।
-- गोपाल कृष्ण शुक्ल
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