शहर की भीड़ में खो गया हूँ
इक सुनहरा ख्वाब हो गया हूँ।
-- गोपाल कृष्ण शुक्ल
दरिया तो चाहती है कि बुझा दे सबकी प्यास
मगर कोई प्यासा पास उसके आए तो सही।
-- गोपाल कृष्ण शुक्ल
तेरे सिवा कोई और रँग खुशनजर ही नहीं
तेरी तबस्सुम तुझसे नज़र हटाने नहीं देती।
-- गोपाल कृष्ण शुक्ल
दिल तो चाहता है सारी उम्र मैं उसको ही पढ़ूँ
यादों के फलक पे जो अफ़साना लिखा है।
-- गोपाल कृष्ण शुक्ल
सुनो ! रुको जरा, मुझे वहाँ कहाँ खोजते हो
मैं स्वयं की तलाश में स्वयं में गुम हो गया हूँ।
-- गोपाल कृष्ण शुक्ल
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