Wednesday, October 26, 2022

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शहर की भीड़ में खो गया हूँ 
इक सुनहरा ख्वाब हो गया हूँ। 

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल 






दरिया तो चाहती है कि बुझा दे सबकी प्यास 
मगर कोई प्यासा पास उसके आए तो सही। 

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल 







तेरे सिवा कोई और रँग खुशनजर ही नहीं 
तेरी तबस्सुम तुझसे नज़र हटाने नहीं देती। 

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल 








दिल तो चाहता है सारी उम्र मैं उसको ही पढ़ूँ 
यादों  के  फलक पे जो  अफ़साना  लिखा है। 

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल 








सुनो ! रुको जरा, मुझे वहाँ कहाँ खोजते हो 
मैं स्वयं की तलाश में स्वयं में गुम हो गया हूँ। 

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल 



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