पल्लव
Sunday, June 3, 2012
{ २९७ } {June 2012}
धडकते दिलों की सब आहटे चुप हो गईं
साँसों की सरगोशियाँ हवाओं में खो गईं
दूर मुझसे हो गये अब हाथ वो खुश्बू भरे
ख्वाहिशे-वस्ल करवट बदल कर सो गई।।
-- गोपाल कृष्ण शुक्ल
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