Friday, February 28, 2014

{ ७३५ } {Feb 2014}





अरमानों के शीशमहल में अब खामोशी है रुसवाई है
जाने कहाँ गया वो जालिम तनहाई का जहर पिला।

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल

No comments:

Post a Comment