पल्लव
Friday, February 28, 2014
{ ७३८ } {Feb 2014}
निशदिन हारा हूँ जीवन के पथ पर
कैसे कह दूँ मैंनें सारा जग जीता है
छोर समय का मैं पकड़ नहीं पाया
कैसे कह दूँ सुन्दर अतीत बीता है।।
-- गोपाल कृष्ण शुक्ल
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