पल्लव
Friday, February 28, 2014
{ ७३६ } {Feb 2014}
काँटों से दिल को कोई गिला अब इसलिये नहीं
कि यह ज़िन्दगी हमारे लिये दिल्लगी हो गई है।
-- गोपाल कृष्ण शुक्ल
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