Saturday, February 28, 2015

{ ८७८ } {Feb 2015}





कश्ती के मुसाफ़िर समन्दर लाघना चाहते हैं
लहरों की थपेडो को शायद उन्हे अन्दाजा नहीं।

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल

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