पल्लव
Friday, February 27, 2015
{ ८७० } {Feb 2015}
इनायत समझ कर अब तक तुझे जीता रहा हूँ
ऐ ज़िन्दगी ! तू फ़र्ज़ है ऐसे ही जिए जाऊँगा मैं।
-- गोपाल कृष्ण शुक्ल
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