पल्लव
Friday, April 13, 2012
{ २३६ } {April 2012}
दिल तो काँच की चूडी से भी नाजुक ठहरा
किस तरह इतनी बडी चोट को सह जाये
जो कभी अर्शे-मोहब्बत से न नीचे उतरा
कहीं मौत आने से पहले ही न ढह जाये ।।
-- गोपाल कृष्ण शुक्ल
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