Tuesday, April 3, 2012

{ २३१ } {April 2012}





सुनसान रात बेनूर है, सितारे भी हुए मद्धिम
कहाँ गये वो लोग जो राह में पलकें थे बिछाते
अब तो वो दिन भी नही रहे, कब के गुजर गये
जब मेरे नाम के साथ ही अपना नाम थे बताते।।

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल

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