पल्लव
Tuesday, April 3, 2012
{ २२९ } {April 2012}
बदल दिया रंग यार ने तो प्यार की बातें कहाँ
वो मुलाकातें वो चाँद और वो चाँदनी राते कहाँ
हिज्र में हुई यारी मये-सागर से पर सुकूँ नही
अब वस्ल-ओ-यार की लम्बी मुलाकातें कहाँ।।
-- गोपाल कृष्न शुक्ल
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