Tuesday, April 3, 2012

{ २३० } {April 2012}





कानो ने सुनी अभी आवाज वही
आँखों ने भी देखे हैं अन्दाज वही
दिल से भी उठ रही है यही सदा
है मौजूद यहीं अंजुमने नाज वही।।

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल

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