Friday, November 1, 2013

{ ६९६ } {Oct 2013}





गमों. के ऊपर. मुस्कुराहट. की चादर. ओढ़ लो
भावनाओं. की नाव. मनन. के तट को मोड़ लो
कामनाओं के वन में हिरण से भटकते मन को
रब की इबादत. के रँग-बिरँगे. गुलों से जोड़ लो।।

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल

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