पल्लव
Friday, November 1, 2013
{ ६९७ } {Oct 2013}
कल जहाँ खिला था आँखों में प्यार का मधुमास
आज वहीं पर हम लिख रहे हैं हिज्र का इतिहास
दहलीज की हर एक आहट चौंका जाती मुझको
जाने और कितना बाकी है ज़िन्दगी में वनवास।।
-- गोपाल कृष्ण शुक्ल
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