पल्लव
Friday, January 31, 2014
{ ७२३ } {Jan 2014}
शाम ढ़ल चुकी है शाम को सँवारा जाये
गम-ए-जीस्त को जाम में उतारा जाये।
-- गोपाल कृष्ण शुक्ल
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment