ज़िन्दगी ईमान की जीने का शऊर हो
खुशियाँ हों हर साँस में ऐसा सुरूर हो
चमक दिलों में, हो हर पल मुस्कुराहट
गैर दर्द में पर आँख में आँसू जरूर हो।
-- गोपाल कृष्ण शुक्ल
भाई-चारा, प्यार मोहब्बत नहीं अगर
तो रिश्तों-नातों को ढ़ो कर क्या होगा
जिस दर पर कोई भी न हमदर्द मिले
उस दर को आँसू से धो कर क्या होगा।
-- गोपाल कृष्ण शुक्ल
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