माना तेरी महफ़िल गुलजार है जहां भर के सितारों से
मुझ गुमनाम का भी नाम कभी जुबां से ले लिया करो।
-- गोपाल कृष्ण शुक्ल
छोड़ दीजे खुद को खुद के हाल पर
जो गुजरती है वो गुजर ही जाएगी।
-- गोपाल कृष्ण शुक्ल
ऐ जानेजाँ, दिलनशीं बता मैं क्या जवाब दूँ
दुनिया ये पूछती है कि दिल कहाँ लगा बैठे।
-- गोपाल कृष्ण शुक्ल
आखिर खता तो मेरी बताओ रूठे क्यों हो
गुनाह क्या है गुनाह की सजा क्या मिलेगी।
-- गोपाल कृष्ण शुक्ल
चलो दर्द की जुस्तजू करके देखें
सुकूने-तबीयत कहाँ तक तलाशें।
-- गोपाल कृष्ण शुक्ल
अश्क पीते हुए हँसता रहा हूँ
ज़िन्दगी मरते हुए जीता रहा हूँ।
-- गोपाल कृष्ण शुक्ल
जरा रुको तो सही फिर जाने हम मिलें न मिलें
दिल के आईने में मुझे ये मंजर समेटने तो दो।
-- गोपाल कृष्ण शुक्ल
मिल जाए अगर कहीं खुदा तो खुदा से पूँछ लें हम
ऐ ज़िन्दगी के मालिक कभी हमें भी खुशी मिलेगी।
-- गोपाल कृष्ण शुक्ल
No comments:
Post a Comment