Saturday, January 21, 2023
{१००५ }
Saturday, January 14, 2023
{१००४}
Friday, January 13, 2023
{१००३}
Thursday, January 12, 2023
{१००२}
बेहया हो गईं हैं फ़ितरतें जब उनकी
उनसे निस्बत ही न रहे तो अच्छा है।
-- गोपाल कृष्ण शुक्ल
खुद से उलफ़त जो कर नहीं सकता
वो किसी को मोहब्बत दे नहीं सकता।
-- गोपाल कृष्ण शुक्ल
बेवजह ही अपनी निगाहों को यूँ परीशां करते हो
खुदगर्ज जमाने में कोई अपना नहीं मिलने वाला।
-- गोपाल कृष्ण शुक्ल
जो गाते थे समवेत स्वरों में दिल की मीठी थापों पर
आज वही कर गये अँधियारा उजली-उजली रातों पर।
-- गोपाल कृष्ण शुक्ल
जिन्दगी के सवाल को सहज न जान
जिन्दगी का हर जवाब मुश्किल है।
-- गोपाल कृष्ण शुक्ल
Wednesday, January 11, 2023
{१००१}
खाक में मिल गए टूट कर आँख से आँसू
लहूलुहान पड़ा है जब से जमीं पर सूरज।
-- गोपाल कृष्ण शुक्ल
बस इसी उम्मीद में गुजर गई उम्र सारी
कि इक रोज तो सूरज से उजियारा होगा।
-- गोपाल कृष्ण शुक्ल
कोई खुशी मेरे घर तक आ ही न सकी
संगसार राहों में शायद भटक गई होगी।
-- गोपाल कृष्ण शुक्ल
साहिल भी देखो समन्दर हो गया
हाल उसका भी बदतर हो गया
क्या बुझेगी मेरी तिशनगी कभी
ये ख्वाब ही मेरा बंजर हो गया।।
-- गोपाल कृष्ण शुक्ल
जिस राह में न हों कोई दुश्वारियाँ
उस रहगुजर से मेरा क्या वास्ता।
-- गोपाल कृष्ण शुक्ल
Tuesday, January 10, 2023
{१०००}
जबसे मरघटों ने कनारों पर कब्जा कर लिया
साहिल पर तड़प रहा है बेघर हुआ सन्नाटा।
-- गोपाल कृष्ण शुक्ल
दरमियाँ यों न फासले रखो
काश ऐसे भी सिलसिले रखो
अपने इस उदास आँगन में
फूल उम्मीद के कहिले रखो।।
-- गोपाल कृष्ण शुक्ल
दरमियाँ हैं दूरियाँ मगर दिल नजदीक हैं
खामोशीयों के बीच सदा उसकी आ रही।
-- गोपाल कृष्ण शुक्ल
अथाह सागर प्रेम का, थाह न पावे कोय।
बिन लालच तू प्रेम कर, मन भर आनन्द होय।।
-- गोपाल कृष्ण शुक्ल
किससे कहूँ दर्दे-दिल, किससे करूँ मैं शिकायतें
ज़िन्दगी में हर कदम पर गैरों की महफ़िल सजी।
-- गोपाल कृष्ण शुक्ल
Monday, January 9, 2023
{९९९}
सोई हैं आँखें जागते सपनों के साथ
लिपटी हैं ख्वाहिशें चँद साँसों के साथ
सन्नाटों का शोर गूंज रहा है हर तरफ
बीत रहे लम्हे नित नए सदमों के साथ।।
-- गोपाल कृष्ण शुक्ल
चलो लौट चलें सुखन की दुनिया में
वहाँ कुछ तो चैनों-आराम मिलेगा।
-- गोपाल कृष्ण शुक्ल
हम हँस-हँस कर अपने ग़म छुपाते हैं
तनहा होते हैं तो रो लेते हैं जी भर कर।
-- गोपाल कृष्ण शुक्ल
कुछ पल तो हँस लें कहकहे लगा लें
यूँ ही जीते जाना कोई ज़िन्दगी नहीं।
-- गोपाल कृष्ण शुक्ल
ज़िन्दगी मैखाना है मदहोश होकर जिये जाइये
जीस्त की दुश्वारियाँ जाम समझ कर पिये जाइये।
-- गोपाल कृष्ण शुक्ल
Sunday, January 8, 2023
{९९८}
रोम-रोम केसर घुली, चन्दन महके अँग
अब काहे की देर पिया, मोहे भर ले अँग ।
-- गोपाल कृष्ण शुक्ल
हँसी की आड़ में जो छुपा के रखे थे
वो दर्द आँसुओं सँग सामने आ गए।
-- गोपाल कृष्ण शुक्ल
इश्क में ही जी रहे, इश्क में ही मर रहे
आशिकी में आखिर और होता क्या है।
-- गोपाल कृष्ण शुक्ल
इस दुनिया में इंसान बहुत हैं
अक्षत कम भगवान बहुत हैं
हर तरफ मुखौटे का चलन है
तुम झूठ कहो, ईनाम बहुत हैं।।
-- गोपाल कृष्ण शुक्ल
बंजर सी हो गई है अब ईमान की जमीं
आदमी में अब आदमीयत बची ही नहीं।
-- गोपाल कृष्ण शुक्ल
Saturday, January 7, 2023
{९९७}
हर कोई जख्मों की सौगात दे कर गया
राहे-उलफ़त का कोई हमसफ़र न बना।
-- गोपाल कृष्ण शुक्ल
उम्मीदों का ये ख्वाब सुनहरा देखें
उसकी आँखों में अपना चेहरा देंखें
रुख उनका गैरों की ही जानिब क्यों
कभी वो इश्क हमारा गहरा देखें।
-- गोपाल कृष्ण शुक्ल
होंठों पर हैं चुप्पियाँ, आँखों में बरसात
तरसूँ मैं पिय मिलन को, रोऊँ सारी रात।।
-- गोपाल कृष्ण शुक्ल
कोई नहीं कर सकता दूर किसी की तनहाई
हैं सूरज, चाँद, तारे, मगर तनहा आसमान है।
-- गोपाल कृष्ण शुक्ल
खंजरों से लिखी जा रही वफ़ा की इबारतें
मोहब्बत में फ़ना होने का चलन अब नहीं।
-- गोपाल कृष्ण शुक्ल
{९९६}
सियाही से इरादों की तस्वीर क्यों हो बनाते
अपने खूँ से तस्वीर बनाओ तो असल होगी।
-- गोपाल कृष्ण शुक्ल
तेरा दिल यूँ सँभाल कर रखा है
जैसे खजाना सँभाल कर रखा है।
-- गोपाल कृष्ण शुक्ल
फूल के बाद रोज नए-नए फूल खिलें
दुआ है कभी खाली न हो दामन तेरा।
-- गोपाल कृष्ण शुक्ल
मैं जाने कहाँ रख के उन्हे भूल गया हूँ
वो लम्हे जो हंस कर बिताने के लिए थे।
-- गोपाल कृष्ण शुक्ल
शजर दर शजर सिर्फ धोखा है ठण्डी छाँव का
हासिल मुकाम सहरा के तपते सफ़र से ही है।
-- गोपाल कृष्ण शुक्ल