Saturday, January 7, 2023

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हर कोई जख्मों की सौगात दे कर गया 
राहे-उलफ़त का कोई हमसफ़र न बना। 

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल 



उम्मीदों का ये ख्वाब सुनहरा देखें 
उसकी आँखों में अपना चेहरा देंखें 
रुख उनका गैरों की ही जानिब क्यों 
कभी वो  इश्क  हमारा  गहरा देखें। 

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल


 

होंठों पर हैं चुप्पियाँ, आँखों में बरसात 
तरसूँ मैं पिय मिलन को, रोऊँ सारी रात।। 

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल 



कोई नहीं कर सकता दूर किसी की तनहाई 
हैं सूरज, चाँद, तारे, मगर तनहा आसमान है। 

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल



खंजरों से लिखी जा रही वफ़ा की इबारतें 
मोहब्बत में फ़ना होने का चलन अब नहीं। 

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल 

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