Thursday, January 12, 2023

{१००२}



बेहया हो गईं हैं फ़ितरतें जब उनकी 
उनसे निस्बत ही न रहे तो अच्छा है। 

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल



खुद से  उलफ़त  जो कर नहीं सकता 
वो किसी को मोहब्बत दे नहीं सकता। 

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल



बेवजह ही अपनी निगाहों को यूँ परीशां करते हो 
खुदगर्ज जमाने में कोई अपना नहीं मिलने वाला। 

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल



जो गाते थे समवेत स्वरों में दिल की मीठी थापों पर 
आज वही कर गये अँधियारा उजली-उजली रातों पर। 

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल



जिन्दगी के सवाल को सहज न जान 
जिन्दगी का हर जवाब मुश्किल है। 

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल 

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