पल्लव
Friday, December 2, 2011
{ ९७ } {Dec 2011}
रूप की और रंग की ही रवानी थी
प्यार के गीत थे और कहानी थी
अब जो खंडहर कभी किला था वो
आज बुढापा है, कभी जवानी थी ।।
-- गोपाल कृष्ण शुक्ल
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