पल्लव
Thursday, December 22, 2011
{ ११० } {Dec 2011}
एक ताजा सुर्ख गुलाब हो जैसे
चाँदनी से भीगी शबाब हो जैसे
ऐ मेरे हुस्न ! तुम तो लगती हो
जाम में आस्मानी शराब हो जैसे ।।
-- गोपाल कृष्ण शुक्ल
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