पल्लव
Friday, January 11, 2013
{ ४५४ } {Jan 2013}
कुछ पग दो पग ही साथ हैं चलते
कुछ बस दो चार कदम ही हैं बढते
कुछ दिल के ही टुकडे करते जाते
सच्चे साथी कभी न हैं बिछडते।।
-- गोपाल कृष्ण शुक्ल
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