पल्लव
Friday, January 11, 2013
{ ४५६ } {Jan 2013}
आदमी आज खुद से सहमा है
आदमीयत की अँख सहमी है
देश-समाज की हर रौनक, औ’
इंसानियत की आँख सहमी है।।
-- गोपाल कृष्ण शुक्ल
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