पल्लव
Friday, January 11, 2013
{ ४५३ } {Jan 2013}
एक धुन बजती थी तुम्हारी आँखों में
एक मँजर तैरता था तुम्हारी आँखों में
तारीकियाँ हो चुकी हैं अब आदमकद
ठूँठ सा शजर है अब तुम्हारी आँखों में।।
-- गोपाल कृष्ण शुक्ल
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment