पल्लव
Monday, January 21, 2013
{ ४६१ } {Jan 2013}
बस टूटने को है दम अँधेरों का
सुबह का इन्तजार ज़िन्दा रख
खुशबुओं की सलामती के लिये
गुल के पहलू में खार ज़िन्दा रख।।
-- गोपाल कृष्ण शुक्ल
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