पल्लव
Tuesday, January 22, 2013
{ ४६९ } {Jan 2013}
तुम रहे समझते जीवन के हर पल को प्रिय अपना
हर दिल को मगर भाता रहा कब अधरों का हँसना
साँसों से सुख का नाता केवल क्या इतना सा ही है
जैसे हर रात नैन का चुम्बन लेने आतुर हो सपना।।
-- गोपाल कृष्ण शुक्ल
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