पल्लव
Monday, March 31, 2014
{ ७५१ } {March 2014}
किसको कौन सहारा दे अब अँधियारा परिहास कर रहा
प्रीति कँगनों की बिकती है संशय उर में वास कर रहा
आशाओं के दर्पण टूटे, अब दर्द अपना मनमीत हुआ
छलने वाले तो छलते है अब आँसू भी उपहास कर रहा।।
-- गोपाल कृष्ण शुक्ल
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