Monday, March 31, 2014

{ ७५४ } {March 2014}






आओ. परचम-ए-बुलन्दी. को. लहरायें
उदास चमन में फ़िर. से बहारों को लायें
टकरा. के जिनसे. चूर हो जाते हैं आइने
आओ उन सख्त पत्थरों को फ़ूल बनायें।।

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल

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