पल्लव
Tuesday, December 25, 2012
{ ४५२ } {Dec 2012}
अपने ही परिवेश से अंजान हो
उफ़ कितने बेसुध से इन्सान हो
नाव मन की कौन तट पर थमे
जब अपना दिल ही बेईमान हो।।
-- गोपाल कृष्ण शुक्ल
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