पल्लव
Thursday, August 22, 2013
{ ६७१ } {Aug 2013}
मचलते रहते सैकड़ॊं अरमाँ शबो-रोज़ इस दिल में
हमारे ख्वाबों से तुम जुदा हो जाओ बड़ा मुश्किल है।
-- गोपाल कृष्ण शुक्ल
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