पल्लव
Thursday, November 24, 2011
{ ८७ } {Nov 2011}
नारियों में आला, शौर्य शक्ति मे निराला थी बाला
लक्ष्मीबाई अरिदल के लिये थी आफ़त की परकाला।
रानी की कुपित क्रुद्ध दृष्टि से झरते झर-झर अंगारे
देख रानी की दहाड हारे सम दिखते बैरी सारे मन मारे ।।
-- गोपाल कृष्ण शुक्ल
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