पल्लव
Saturday, November 12, 2011
{ ७५ } {Nov 2011}
भीड है बेशुमार चेहरों की
दूर तक बेहिसाब मेला है
मैं इसमे शरीक हूँ लेकिन
आज मन बहुत अकेला है ।।
-- गोपाल कृष्ण शुक्ल
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment