पल्लव
Saturday, November 12, 2011
{ ७६ } {Nov 2011}
एक वो ही घडी तो गुजरी थी
प्यार के उन रेशमी गुनाहों में
आज तक ढूँढता हूँ मै तुमको
ज़िन्दगी की इन उदास राहों में ।।
-- गोपाल कृष्ण शुक्ल
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment