पल्लव
Thursday, November 24, 2011
{ ८९ } {Nov 2011}
डगमगाता है प्यार का संयम
जब उसे कोई रस का सावन दे
एक भौंरा करे भी क्या आखिर
जब कली ही उसे निमंत्रण दे।।
-- गोपाल कृष्ण शुक्ल
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