Thursday, November 24, 2011

{ ९२ } {Nov 2011}







दीप की लौ मचल रही होगी
रूह करवट बदल रही होगी
रात होगी तुम्हारी आँखों में
नींद बाहर टहल रही होगी।।

-- गोपाल कृष्ण शुक्ल

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